ONDC (Open Network for Digital Commerce): क्या यह भारत में Amazon और Flipkart का एकाधिकार खत्म कर देगा?

आज से कुछ साल पहले, जब भी ऑनलाइन शॉपिंग का जिक्र होता था, तो हमारे दिमाग में सिर्फ दो नाम आते थे – Amazon और Flipkart। इन विशाल प्लेटफॉर्म्स ने भारत के ई-कॉमर्स परिदृश्य को परिभाषित किया, हमें सुविधा दी, लेकिन साथ ही एक डिजिटल दीवार भी खड़ी कर दी, जहाँ छोटे विक्रेता और स्थानीय दुकानदार अक्सर बाहर रह जाते थे। लेकिन अब, 2025 में, भारत के डिजिटल बाजार में एक मूक क्रांति तेजी से आकार ले रही है, और इसका नाम है ONDC

 

ONDC, यानी Open Network for Digital Commerce, सिर्फ एक और ई-कॉमर्स ऐप या वेबसाइट नहीं है। यह भारत सरकार द्वारा समर्थित एक विचार है, एक खुला नेटवर्क जो डिजिटल कॉमर्स को लोकतांत्रिक बनाने का वादा करता है। इसे अक्सर “ई-कॉमर्स के लिए UPI मोमेंट” कहा जा रहा है, और यह तुलना बिल्कुल सटीक है। जैसे UPI ने किसी भी बैंक के ग्राहक को किसी भी पेमेंट ऐप का उपयोग करने की आजादी दी, वैसे ही ONDC किसी भी खरीदार को किसी भी ऐप से, किसी भी विक्रेता से सामान खरीदने की शक्ति दे रहा है।

 
 

लेकिन क्या ONDC वास्तव में Amazon और Flipkart के दशकों पुराने एकाधिकार को चुनौती दे सकता है? 2025 तक इसने क्या हासिल किया है, और इसका भविष्य कैसा दिखता है? इस 1500-शब्दों के विस्तृत विश्लेषण में, हम ONDC के हर पहलू की पड़ताल करेंगे।


ONDC आखिर है क्या? (एक शॉपिंग मॉल बनाम एक खुला बाजार)

ONDC को समझने का सबसे आसान तरीका है एक शॉपिंग मॉल और एक खुले शहर के बाजार के बीच के अंतर को समझना।

  • Amazon/Flipkart (एक शॉपिंग मॉल): ये एक विशाल शॉपिंग मॉल की तरह हैं। मॉल का मालिक (प्लेटफॉर्म) तय करता है कि कौन सी दुकान कहाँ लगेगी, कितना किराया (कमीशन) लिया जाएगा, और मॉल के नियम क्या होंगे। ग्राहकों को मॉल में बहुत कुछ मिलता है, लेकिन दुकानदारों को ऊंचे कमीशन देने पड़ते हैं और उनकी अपनी कोई खास पहचान नहीं बन पाती।

  • ONDC (एक खुला बाजार): ONDC एक शहर के खुले बाजार की तरह है। यहाँ कोई एक मालिक नहीं है। यह एक सार्वजनिक बुनियादी ढांचा (जैसे सड़कें और बिजली) प्रदान करता है, जहाँ कोई भी छोटा या बड़ा दुकानदार अपनी दुकान लगा सकता है। ग्राहक अपनी पसंदीदा गली (बायर ऐप) से घूमते हुए किसी भी दुकान (सेलर ऐप) से सामान खरीद सकता है।

तकनीकी रूप से, ONDC एक खुला प्रोटोकॉल है। यह नियमों का एक सेट है जो विभिन्न खरीदार ऐप्स (जैसे Paytm), विक्रेता ऐप्स (जैसे GoFrugal), और लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं (जैसे Dunzo) को एक-दूसरे से बात करने और एक साथ काम करने की अनुमति देता है।

 

ONDC काम कैसे करता है? (एक वास्तविक उदाहरण)

आइए देखें कि यह বাস্তবে कैसे काम करता है। मान लीजिए, आप लखनऊ में रहते हैं और अपने पसंदीदा स्थानीय बेकरी से केक ऑर्डर करना चाहते हैं, जो केवल एक छोटे से सेलर ऐप पर सूचीबद्ध है।

पारंपरिक मॉडल में: आपको उस विशिष्ट सेलर ऐप को डाउनलोड करना होगा।

ONDC के साथ:

  1. आप अपना पसंदीदा ऐप, जैसे Paytm (जो एक ONDC-इनेबल्ड बायर ऐप है), खोलते हैं।

     
  2. आप “रेड वेलवेट केक” खोजते हैं।

  3. Paytm ONDC नेटवर्क पर खोज करता है और आपको न केवल बड़े ब्रांड्स बल्कि आपके स्थानीय बेकरी का विकल्प भी दिखाता है, भले ही वह Paytm पर सीधे तौर पर सूचीबद्ध न हो।

  4. आप Paytm से ही ऑर्डर देते हैं, भुगतान करते हैं, और ONDC नेटवर्क पर मौजूद एक लॉजिस्टिक्स पार्टनर आपके घर पर केक पहुंचा देता है।

इस पूरी प्रक्रिया में, खरीदार, विक्रेता और डिलीवरी पार्टनर, सभी अलग-अलग ऐप्स पर होने के बावजूद एक ही नेटवर्क के माध्यम से जुड़े हुए हैं।


छोटे विक्रेताओं और ग्राहकों के लिए फायदे: यह गेम-चेंजर क्यों है?

ONDC का प्रभाव बहुआयामी है, जो इकोसिस्टम में हर किसी को फायदा पहुंचाता है।

छोटे विक्रेताओं (MSMEs) के लिए:

  • कम कमीशन: जहाँ Amazon और Flipkart 25% से 45% तक का भारी कमीशन लेते हैं, वहीं ONDC पर यह बहुत कम (लगभग 5-10%) है। इससे विक्रेताओं का मुनाफा बढ़ता है।

     
  • व्यापक पहुंच: एक बार ONDC पर सूचीबद्ध होने के बाद, एक छोटा विक्रेता देश भर के उन सभी ग्राहकों के लिए दृश्यमान हो जाता है जो किसी भी ONDC-इनेबल्ड बायर ऐप का उपयोग कर रहे हैं।

  • कोई एल्गोरिथम भेदभाव नहीं: बड़े प्लेटफॉर्म्स पर, अक्सर विज्ञापन देने वाले या बड़े विक्रेताओं को प्राथमिकता दी जाती है। ONDC एक समान अवसर प्रदान करता है, जहाँ एक स्थानीय किराना स्टोर भी एक राष्ट्रीय ब्रांड के बगल में दिख सकता है।

     
  • ग्राहक डेटा का स्वामित्व: ONDC विक्रेताओं को अपने ग्राहकों के डेटा तक पहुंचने की अनुमति देता है (ग्राहक की सहमति से), जिससे वे अपनी ब्रांड पहचान बना सकते हैं और ग्राहकों के साथ सीधे संबंध स्थापित कर सकते हैं।

ग्राहकों के लिए:

  • अधिक विकल्प: अब आप सिर्फ एक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध उत्पादों तक सीमित नहीं हैं। ONDC आपको स्थानीय कारीगरों से लेकर बड़े ब्रांड्स तक, सब कुछ एक ही जगह पर खोजने की सुविधा देता है।

  • प्रतिस्पर्धी मूल्य: कम कमीशन का मतलब है कि विक्रेता उत्पादों को अक्सर सस्ती कीमतों पर पेश कर सकते हैं। खाने के ऑर्डर जैसे मामलों में, ONDC पर कीमतें अक्सर Swiggy या Zomato से कम पाई गई हैं।

     
     
  • हाइपरलोकल खोज: ONDC आपको अपने आस-पास की दुकानों और सेवाओं को आसानी से खोजने में मदद करता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।

  • ऐप की स्वतंत्रता: आप अपनी पसंद के किसी भी ONDC-इनेबल्ड ऐप का उपयोग करके खरीदारी कर सकते हैं, चाहे वह Paytm हो, Magicpin हो, या कोई और।

     

2025 में ONDC की वर्तमान स्थिति: सिर्फ एक विचार से बढ़कर

अगस्त 2025 तक, ONDC अपनी प्रायोगिक अवस्था से बहुत आगे निकल चुका है।

  • व्यापक विस्तार: नेटवर्क अब 1200 से अधिक शहरों में फैल चुका है, और 5 लाख से अधिक MSMEs को सफलतापूर्वक ऑनबोर्ड कर चुका है।

     
  • लेन-देन में वृद्धि: ONDC पर मासिक लेनदेन की संख्या करोड़ों में पहुंच रही है, जिसमें गतिशीलता (Mobility) जैसे कैब बुकिंग और लॉजिस्टिक्स का बड़ा हिस्सा है।

     
  • वित्तीय सेवाओं में प्रवेश: ONDC ने अब सिर्फ रिटेल से आगे बढ़कर वित्तीय सेवाओं में भी प्रवेश कर लिया है। अब नेटवर्क पर 6 मिनट में पूरी तरह से डिजिटल और पेपरलेस असुरक्षित लोन उपलब्ध हैं। बीमा और म्यूचुअल फंड उत्पादों के पायलट भी चल रहे हैं।

     
  • सरकारी समर्थन: MSME मंत्रालय की TEAM (Trade Enablement and Marketing) जैसी पहल छोटे व्यवसायों को नेटवर्क में शामिल होने के लिए वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण प्रदान कर रही है।

     

राह की चुनौतियाँ: ONDC के लिए सब कुछ आसान नहीं है

अपनी सभी सफलताओं के बावजूद, ONDC की राह में कई बड़ी चुनौतियां हैं:

  1. उपयोगकर्ता अनुभव (User Experience): Amazon और Flipkart दशकों के अनुभव के साथ एक अविश्वसनीय रूप से सहज और एकीकृत अनुभव प्रदान करते हैं – तेज डिलीवरी, आसान रिटर्न, और विश्वसनीय ग्राहक सेवा। ONDC, अपने विकेन्द्रीकृत स्वभाव के कारण, अभी भी एक समान और सुसंगत अनुभव प्रदान करने में संघर्ष कर रहा है।

  2. विवाद समाधान (Dispute Resolution): जब एक ऑर्डर में समस्या आती है, तो यह स्पष्ट नहीं होता कि कौन जिम्मेदार है – बायर ऐप, सेलर ऐप, या लॉजिस्टिक्स पार्टनर? एक मजबूत और केंद्रीकृत शिकायत निवारण तंत्र की कमी उपभोक्ताओं के विश्वास को कम करती है।

  3. जागरूकता और आदत: अधिकांश भारतीय उपभोक्ता Amazon और Flipkart का उपयोग करने के आदी हो चुके हैं। उन्हें ONDC के फायदों के बारे में शिक्षित करना और अपनी आदतें बदलने के लिए प्रेरित करना एक बड़ी चुनौती है।

  4. लॉजिस्टिक्स की जटिलता: एक खुले नेटवर्क में डिलीवरी और रिटर्न को सुचारू रूप से प्रबंधित करना एक बहुत बड़ी लॉजिस्टिक चुनौती है, खासकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में।


ONDC vs. Amazon/Flipkart: क्या एकाधिकार टूटेगा?

तो, क्या ONDC इन दिग्गजों को खत्म कर देगा? इसका सीधा जवाब ‘शायद नहीं’ है। ONDC का उद्देश्य Amazon या Flipkart का “हत्यारा” बनना नहीं है, बल्कि एक विकल्प बनना है।

 

ONDC एक उत्प्रेरक (catalyst) के रूप में काम कर रहा है जो मौजूदा प्लेटफॉर्म्स को और अधिक प्रतिस्पर्धी और निष्पक्ष बनने के लिए मजबूर कर रहा है। दिलचस्प बात यह है कि Amazon खुद अपने लॉजिस्टिक्स और सॉफ्टवेयर सेवाओं को ONDC नेटवर्क के साथ एकीकृत कर रहा है, जो यह दर्शाता है कि भविष्य एक टकराव का नहीं, बल्कि सह-अस्तित्व का हो सकता है।

 

निष्कर्ष: भारत के डिजिटल कॉमर्स का भविष्य

ONDC भारत के डिजिटल भविष्य के लिए एक साहसिक और महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण है। यह रातों-रात Amazon और Flipkart की जगह नहीं लेगा, लेकिन यह निश्चित रूप से खेल के नियमों को बदल रहा है।

2025 तक, यह स्पष्ट है कि ONDC सिर्फ एक सरकारी परियोजना से कहीं बढ़कर है। यह एक जीवंत इकोसिस्टम बन गया है जो लाखों छोटे व्यवसायों को सशक्त बना रहा है और उपभोक्ताओं को अभूतपूर्व विकल्प प्रदान कर रहा है।

भविष्य में, हम शायद एक हाइब्रिड मॉडल देखेंगे जहाँ बड़े प्लेटफॉर्म और ONDC एक साथ मौजूद रहेंगे। ONDC डिजिटल कॉमर्स को और अधिक समावेशी, प्रतिस्पर्धी और लोकतांत्रिक बनाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का लाभ कुछ चुनिंदा कंपनियों तक ही सीमित न रहे, बल्कि देश के हर कोने में मौजूद छोटे से छोटे उद्यमी तक भी पहुंचे। यह एक लंबी और चुनौतीपूर्ण यात्रा है, लेकिन ONDC ने यह साबित कर दिया है कि भारत के ई-कॉमर्स का भविष्य “बंद दीवारों वाले बगीचे” (walled gardens) का नहीं, बल्कि एक “खुले मैदान” का है।

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